तमिलनाडु राज्य में स्थित कांचीपुरम, जिसे अक्सर ‘हजारों मंदिरों का शहर’ कहा जाता है, भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, शानदार मंदिरों और विश्व प्रसिद्ध रेशमी साड़ियों के लिए विख्यात यह शहर, दक्षिण भारत के इतिहास और वास्तुकला का एक जीवंत प्रमाण है।
कांचीपुरम का इतिहास 2000 वर्षों से भी पुराना है। यह पल्लव राजवंश की राजधानी था, जिन्होंने 6वीं से 9वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर शासन किया। पल्लवों के संरक्षण में, कांचीपुरम कला, वास्तुकला, धर्म और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। यह शहर प्राचीन काल से ही शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है और इसे ‘ज्ञान का केंद्र’ भी कहा जाता था। शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और मेघास्थनीज जैसे कई महान दार्शनिक और विद्वान इस शहर से जुड़े रहे हैं।
मंदिरों का शहर
कांचीपुरम अपने अद्भुत मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो द्रविड़ वास्तुकला शैली के बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यह हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों (मोक्ष पूरियों) में से एक है, जहाँ माना जाता है कि मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। शहर में विभिन्न संप्रदायों, विशेष रूप से शैव और वैष्णव धर्म से संबंधित बड़ी संख्या में मंदिर हैं।
कैलाशनाथर मंदिर: यह प8वीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय द्वारा निर्मित, यह कांचीपुरम के सबसे पुराने और सबसे शानदार मंदिरों में से एक है। इसकी दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां पल्लव कला की पराकाष्ठा को दर्शाती हैं। यह भगवान शिव को समर्पित है।
वरदराज पेरुमल मंदिर: भगवान विष्णु को समर्पित यह विशाल मंदिर अपनी 1000 स्तंभों वाले हॉल और भव्य गोपुरम के लिए जाना जाता है। मंदिर परिसर में कई छोटे मंदिर और मंडप हैं जो इसकी स्थापत्य भव्यता को बढ़ाते हैं।
कामाक्षी अम्मन मंदिर: देवी कामाक्षी को समर्पित यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। मंदिर की वास्तुकला और मूर्तिकला अत्यंत मनमोहक है।
एकम्बरेश्वर मंदिर: यह भगवान शिव को समर्पित एक और महत्वपूर्ण मंदिर है और पंचभूत स्थलों में से एक है, जो पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका ऊंचा गोपुरम और विशाल प्रांगण प्रभावशाली है।
रेशम की नगरी
कांचीपुरम की पहचान केवल उसके मंदिरों से ही नहीं है, बल्कि यह अपनी बेहतरीन रेशमी साड़ियों के लिए भी विश्व विख्यात है। ‘कांचीपुरम सिल्क साड़ी’ अपनी समृद्ध बुनाई, चमकीले रंगों और सोने व चांदी के धागों से बने जटिल डिजाइनों के लिए जानी जाती है। इन साड़ियों को कुशल कारीगरों द्वारा हाथ से बुना जाता है, और प्रत्येक साड़ी को बनाने में कई दिन या सप्ताह लग सकते हैं। कांचीपुरम सिल्क साड़ी भारतीय शादियों और विशेष अवसरों का एक अभिन्न अंग है और देश-विदेश में इसकी भारी मांग है।
संस्कृति और विरासत
कांचीपुरम एक ऐसा शहर है जहाँ प्राचीन परंपराएं और शिल्प कौशल आज भी जीवित हैं। यहाँ की स्थानीय संस्कृति में धर्म, कला और हस्तशिल्प का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। त्योहारों के दौरान शहर में विशेष रौनक होती है, जब मंदिर उत्सवों और जुलूसों से जीवंत हो उठते हैं।
कांचीपुरम केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो इतिहास, आध्यात्मिकता और शिल्प कौशल का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इसके प्राचीन मंदिर और शानदार रेशमी साड़ियाँ भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं। जो भी व्यक्ति दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपराओं को गहराई से समझना चाहता है, उसके लिए कांचीपुरम की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव होती है। यह शहर वास्तव में ‘मंदिरों का शहर’ और ‘रेशम की नगरी’ दोनों ही उपनामों को पूरी तरह से सार्थक करता है।