उज्जैन – Ujjain

मध्य प्रदेश में शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन, भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक गौरव और सांस्कृतिक समृद्धि का एक अनूठा संगम है। उज्जैन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसकी जड़ें पौराणिक काल तक फैली हुई हैं। स्कंद पुराण में उज्जैन को “अवंती” नाम से वर्णित किया गया है, जो मोक्ष प्रदान करने वाले सात पवित्र शहरों (सप्त पुरियों) में से एक है।

महाकाल की नगरी

उज्जैन को अक्सर ‘महाकाल की नगरी’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहाँ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी थीं, जिनमें से एक उज्जैन भी था। यही कारण है कि यहाँ प्रत्येक 12 वर्ष पर सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित किया जाता है, जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है।

ऐतिहासिक रूप से, उज्जैन विभिन्न साम्राज्यों की राजधानी रहा है, जिनमें मौर्य, गुप्त, परमार और सिंधिया राजवंश प्रमुख हैं। सम्राट अशोक और विक्रमादित्य जैसे महान शासकों ने इस शहर पर शासन किया, जिससे यह कला, विज्ञान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। कालिदास, आर्यभट्ट और वराहमिहिर जैसे विद्वानों ने भी इस शहर में अपना योगदान दिया है, जिससे उज्जैन को ‘ज्ञान की नगरी’ के रूप में भी पहचान मिली है।

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: उज्जैन का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित स्थल महाकालेश्वर मंदिर है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। यहाँ की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ भगवान को भस्म (राख) का लेप लगाया जाता है। लाखों भक्त हर साल इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आते हैं।

काल भैरव मंदिर: यह मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं। इस मंदिर की अनूठी बात यह है कि यहाँ भगवान भैरव को शराब का भोग लगाया जाता है, जिसे वे सीधे पीते हुए प्रतीत होते हैं। यह मंदिर तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है।

हरसिद्धि देवी मंदिर: यह शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ देवी सती की कोहनी गिरी थी। यह मंदिर अपनी दो विशाल दीप स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें ‘दीपमालिका’ कहा जाता है। त्योहारों के दौरान इन दीप स्तंभों को प्रज्ज्वलित करना एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।

मंगलनाथ मंदिर: माना जाता है कि मंगल ग्रह का जन्म इसी स्थान पर हुआ था, इसलिए यह मंदिर मंगल दोष निवारण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। देशभर से भक्त यहाँ पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

शिप्रा नदी के घाट: उज्जैन के घाटों का भी अपना एक विशेष महत्व है, खासकर सिंहस्थ कुंभ के दौरान। रामघाट सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है, जहाँ श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाते हैं।

जंतर मंतर (वेधशाला): यह 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित एक खगोलीय वेधशाला है। यह प्राचीन भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान की अद्भुत समझ को दर्शाता है।

भर्तृहरि गुफाएं: ये गुफाएं महान कवि और राजा भर्तृहरि से जुड़ी हुई हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ तपस्या की थी।

कुंभ मेला

उज्जैन में प्रत्येक 12 वर्ष पर लगने वाला सिंहस्थ कुंभ मेला इस शहर की सबसे बड़ी पहचान है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत शिप्रा नदी में पवित्र स्नान करने आते हैं, मोक्ष और आध्यात्मिक शुद्धि की कामना करते हैं। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की भव्यता का प्रतीक है।
उज्जैन एक ऐसा शहर है जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव को सदियों से संजोए हुए है। यहाँ की प्राचीन गलियों में चलते हुए, मंदिरों की घंटियों की ध्वनि सुनते हुए और शिप्रा के शांत जल को देखते हुए, कोई भी व्यक्ति एक गहरी आध्यात्मिक शांति और ऐतिहासिक जुड़ाव महसूस कर सकता है। उज्जैन केवल एक तीर्थ स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो भारतीय सभ्यता की आत्मा को दर्शाता है। यह वास्तव में ‘महाकाल की नगरी’ है, जहाँ हर पत्थर एक कहानी कहता है और हर कण में पवित्रता का वास है।

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