बिहार का राजकीय पशु – State Animal of Bihar

बिहार, भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक राज्यों में से एक है, और इसकी पहचान इसके विभिन्न राजकीय प्रतीकों से होती है। हर राज्य कि तरह, बिहार का भी अपना एक राजकीय पशु बैल है, जिसे आमतौर पर “गौर” या “भारतीय बायसन” के नाम से भी जाना जाता है। बैल (गौर) को बिहार का राजकीय पशु घोषित करने का उद्देश्य वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और राज्य की जैव विविधता को बढ़ावा देना है।

बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2013 में बैल को आधिकारिक तौर पर राजकीय पशु के रूप में अपनाया गया है। बैल (गौर) का चुनाव बिहार के राजकीय पशु के रूप में इसकी कृषि प्रधानता और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, और सदियों से बैल यहां के किसानों के लिए एक अनिवार्य साथी रहा है। खेत जोतने से लेकर माल ढोने तक, बैल ने बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और जीवनशैली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बैल (गौर) का परिचय – Introduction of OX (Gaur)

बैल(गौर), बायसन प्रजाति का सबसे बड़ा सदस्य है। इसे एक शक्तिशाली शरीर,बड़े सिंग और पीठ पर उभरी हुई कूबड़ के साथ पहचाना जाता है। युवा और मादा गौर हल्के भूरे रंग के होते हैं। गौर मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के घने और आर्द्र वन क्षेत्रों घास के मैदानों और पहाड़ इलाकों में पाये  जाते है। भारत में ये विशेष रूप से पश्चिमी घाट, मध्य भारत और उत्तर-पूर्वी भारत के जंगलों में देखें जाते हैं| गौर शाकाहारी और सामाजिक प्राणी होते है वे घास पत्तियां, फल और बॉस खाते हैं|

बैल का महत्व – Signification of OX

बैल बिहार की कृषि प्रधान पहचान का एक मजबूत प्रतीक है। यह परिश्रम, शक्ति और ग्रामीण जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय संस्कृति में, विशेष रूप से कृषि आधारित समाजों में, बैलों को बहुत सम्मान दिया जाता है। वे अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों से जुड़े होते हैं। बैल बिहार की पुरानी कृषि पद्धतियों और पारंपरिक विरासत को दर्शाता है, जो राज्य के इतिहास और विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2013 में बैल को आधिकारिक तौर पर राजकीय पशु के रूप में अपनाया गया है। बैल, अपनी शक्ति और कृषि महत्व के साथ, बिहार के लिए एक उपयुक्त राजकीय पशु है जो राज्य की आत्मा और उसकी मेहनती जनता का प्रतिनिधित्व करता है। बिहार में गौर की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा और शिकार पर नियंत्रण शामिल है।

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