भारत के प्रत्येक राज्य कि तरह बिहार का भी अपना एक राजकीय पुष्प है, जो राज्य की पहचान का एक अभिन्न अंग है। बिहार का राजकीय पुष्प “गेंदा” है, जो राज्य की सुंदरता, परंपरा और महत्व को दर्शाता है। पहले बिहार का राजकीय पुष्प “कचनार” था, लेकिन साल 2013 में गेंदा को राजकीय पुष्प के रूप में घोषित किया गया। गेंदा अपनी सुंदरता, खुशबू और आसानी से उपलब्ध होने के कारण बिहार के लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।
गेंदे का महत्व एवं विशेषताएं:
- धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: गेंदे का फूल भारतीय संस्कृति और त्योहारों में विशेष स्थान रखता है। यह पूजा-पाठ, शुभ कार्यों और सजावट में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। बिहार में छठ पूजा, दीपावली और अन्य पारंपरिक त्योहारों में गेंदे के फूलों का खूब इस्तेमाल होता है, जिससे यह लोगों के दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गया है।
- विभिन्न रंग और प्रजातियाँ: गेंदा विभिन्न रंगों जैसे पीला, नारंगी, लाल आदि में पाया जाता है। इसकी विभिन्न प्रजातियाँ भी होती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। यह अपनी चमक और जीवंतता के कारण बागानों और घरों की शोभा बढ़ाता है।
- औषधीय गुण: गेंदे के फूल में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसका उपयोग कुछ पारंपरिक दवाओं और सौंदर्य उत्पादों में भी किया जाता है।
- आसान खेती: गेंदे की खेती अपेक्षाकृत आसान होती है और यह बिहार की जलवायु में अच्छी तरह से पनपता है। यह किसानों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है।
- सामाजिक जुड़ाव: गेंदे का फूल बिहार के हर घर में आसानी से देखने को मिल जाता है। इसकी लोकप्रियता और सर्वव्यापकता ने इसे बिहार की पहचान का एक प्रतीक बना दिया है।
गेंदा, सिर्फ एक फूल नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत, उसकी परंपराओं और लोगों के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसकी सुगंध और रंग बिहार के हर कोने में फैले हुए हैं, जो इसे राज्य के गौरव का प्रतीक बनाते हैं। गेंदे का फूल बिहार के जन-जीवन में गहराई से समाया हुआ है। यह सिर्फ एक राजकीय प्रतीक ही नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति और परंपरा का भी अभिन्न अंग है। गेंदे की खुशबू बिहार के खेतों और घरों में फैली हुई है, जो इसे सचमुच बिहार का गौरवशाली राजकीय पुष्प बनाती है|