श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय सनातन ज्ञान परम्परा का एक अमूल्य रत्न है, जिसे गीता के संक्षिप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह ग्रन्थ महाभारत के भीष्म पर्व का एक अंश है, जिसमें कुल 700 श्लोक सम्मिलित हैं। गीता न केवल धर्म, कर्म और मोक्ष की अवधारणाओं को स्पष्ट करती है, अपितु यह मानव जीवन के समस्त आयामों को भी स्पर्श करती है। यह ग्रन्थ दार्शनिकता, सांख्य, योग, भक्ति और निष्काम कर्म की साक्षात शिक्षा देता है।
अर्जुन विषाद योग – Arjun Vishad Yoga
गीता का प्रथम अध्याय ‘अर्जुन विषाद योग’ है, जिसमें युद्धभूमि में खड़े अर्जुन मानसिक और नैतिक दुविधा में डूब जाते हैं। वे अपने कुटुम्बजनों के वि7रुद्ध युद्ध करने से विचलित होकर शस्त्र त्याग देना चाहते हैं। यह अध्याय मनुष्य की प्रारंभिक जिज्ञासा, मोह और असमंजस को दार्शनिक संवाद हेतु पृष्ठभूमि …
श्रीमद्भगवद्गीता – Shrimad Bhagwad Gita
श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय सनातन ज्ञान परम्परा का एक अमूल्य रत्न है, जिसे गीता के संक्षिप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह ग्रन्थ महाभारत के भीष्म पर्व का एक अंश है, जिसमें कुल 700 श्लोक सम्मिलित हैं। गीता न केवल धर्म, कर्म और मोक्ष की अवधारणाओं को स्पष्ट करती है, …