अयोध्या – Ayodhya

अयोध्या, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन शहर है, यह पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है। अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है| रामायण महाकाव्य के अनुसार, अयोध्या को इक्ष्वाकु वंश के राजाओं द्वारा स्थापित किया गया था और यह कोशल साम्राज्य की प्राचीन राजधानी थी। अयोध्या का इतिहास अत्यन्त गौरवपूर्ण एवं समृद्ध है। यह प्रभु श्रीराम की जन्म एवं कर्मस्थली अयोध्या ज़िले का एक प्रमुख शहर है। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली रामजन्मभूमि अयोध्या जनपद में स्थित है। राम भरत मिलाप के पश्चात भरत खड़ाऊँ लेकर अयोध्या मुख्यालय से 15 किमी॰ दक्षिण सुलतानपुर रोड रोड पर स्थित भरतकुण्ड नामक स्थान पर चौदह वर्ष तक रहे। यहाँ पतित पावनी माँ सरयू नदी रूप में अवतरित होकर सदियोँ से मानव कल्याण करती है। अयोध्या पुरी सरयू के तट पर लगभग 144 कि.मी लम्बाई और लगभग 36 कि.मी. चौड़ाई में बसी थी। कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। स्कन्दपुराण के अनुसार सरयू के तट पर दिव्य शोभा से युक्त दूसरी अमरावती के समान अयोध्या नगरी है। अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरो का शहर है।

अयोध्या के प्रमुख मन्दिर – Famous Temples in Ayodhya

मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी रामजन्मभूमि , कनक भवन , हनुमानगढ़ी ,राजद्वार मंदिर ,दशरथमहल , लक्ष्मणकिला , कालेराम मन्दिर , मणिपर्वत , श्रीराम की पैड़ी , नागेश्वरनाथ , क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर , गुप्तार घाट समेत अनेक मन्दिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। बिरला मन्दिर , श्रीमणिरामदास जी की छावनी , श्रीरामवल्लभाकुञ्ज , श्रीलक्ष्मणकिला , श्रीसियारामकिला , उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र हैं।

श्रीरामजन्मभूमि

शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट में स्थित अयोध्या का सर्वप्रमुख स्थान श्रीरामजन्मभूमि है। श्रीराम-लक्ष्मण-भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बालरूप के दर्शन यहाँ होते हैं। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना जाना लगा रहता है। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।

कनक भवन

हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण बहुत बार इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मन्दिर के श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) भारत के सुन्दरतम स्वरूप कहे जा सकते हैं। यहाँ नित्य दर्शन के अलावा सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाये जाते हैं।

हनुमान गढ़ी

अयोध्या नगर के केन्द्र में स्थित इस मंदिर में 76 कदमों की चाल से पहुँचा जा सकता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव वास करते हैं। इसलिए अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं। यहां का सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर “हनुमानगढ़ी” के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को ये अधिकार दिया था कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले तुम्हारा दर्शन पूजन करना होगा। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोद में बालक के रूप में विराजमान हैं।
राजद्वार मंदिर
यह अयोध्या के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र, हनुमान गढ़ी के पास स्थित है। यह भव्य मंदिर एक उच्च पतला शिखर वाला एक उच्च भूमि पर खड़ा है और दूर से दिखाई देता है। मंदिर भगवान राम को समर्पित है। यह समकालीन वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।

आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला

महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली यह स्थान देश भर में रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। श्री स्वामी जी चिरान्द (छपरा) निवासी स्वामी श्री युगलप्रिया शरण ‘जीवाराम’ जी महाराज के शिष्य थे। श्री राम नवमी, सावन झूला, तथा श्रीराम विवाह महोत्सव यहाँ बड़ी भव्यता के साथ मनाये जाते हैं। यह स्थान तीर्थ-यात्रियों के ठहरने का उत्तम विकल्प है। सरयू की धार से सटा होने के कारण यहाँ सूर्यास्त दर्शन आकर्षण का केंद्र होता है।

नागेश्वर नाथ मंदिर

कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थे तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया। कहा जाता है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल के पहले से है। शिवरात्रि पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीअनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर

अन्तर्गृही अयोध्या के शिरोभाग में गोप्रतार घाट पर पञ्चमुखी शिव का स्वरूप विराजमान है जिसे अनादि माना जाता है। शैवागम में वर्णित ईशान , तत्पुरुष , वामदेव , सद्योजात और अघोर नामक पाँच मुखों वाले लिंगस्वरूप की उपासना से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

राघवजी का मन्दिर

ये मन्दिर अयोध्या नगर के केन्द्र में स्थित बहुत ही प्राचीन भगवान श्री रामजी का स्थान है जिस्को हम (राघवजी का मंदिर) नाम से भी जानते हैं मन्दिर में स्थित भगवान राघवजी अकेले ही विराजमान है ये मात्र एक ऐसा मंदिर है जिसमें भगवन जी के साथ माता सीताजी की मूर्ति बिराजमान नहीं है। सरयू जी में स्नान करने के बाद राघव जी के दर्शन किये जाते हैं।

सप्तहरि

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की लीला के अतिरिक्त अयोध्या में श्रीहरि के अन्य सात प्राकट्य हुए हैं जिन्हें सप्तहरि के नाम से जाना जाता है। अलग-अलग समय देवताओं और मुनियों की तपस्या से प्रकट हुए भगवान् विष्णु के सात स्वरूपों को ही सप्तहरि के नाम से जाना जाता है। इनके नाम भगवान “गुप्तहरि” , “विष्णुहरि”, “चक्रहरि”, “पुण्यहरि”, “चन्द्रहरि”, “धर्महरि” और “बिल्वहरि” हैं।

अयोध्या का दीपोत्सव

दिपावली के दिन ही भगवान राम, सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इसीलिए अयोध्या में दिपावली का त्योहार विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। राम मंदिर के निर्माण के बाद से अयोध्या में दिवाली का उत्सव और भी भव्य हो गया है। अयोध्या में दिवाली के दिन सरयू नदी के किनारे लाखों दीप जलाए जाते हैं। जहाँ दीपों की झिलमिलाती रोशनी देखने लायक होती है।

कैसे पहुंचे अयोध्या? – How to reach Ayodhya?

अयोध्या सड़क और रेल मार्ग द्वारा लखनऊ, प्रयागराज ,वाराणसी, सुल्तानपुर,जौनपुर और उत्तर भारत के अन्य शहरों से भलीभाँति जुड़ा हुआ है।

  • सड़क मार्ग-अयोध्या सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, जौनपुर, सुल्तानपुर और अन्य जगहों से अयोध्या आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • रेल मार्ग-रेल मार्ग द्वारा दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, सुल्तानपुर और जौनपुर से अयोध्या आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • वायु मार्ग-अयोध्या के हवाई अड्डे का आधिकारिक नाम महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा अयोध्या शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अयोध्या, जो सदियों से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, अब एक आधुनिक हवाई अड्डे के साथ और भी अधिक सुलभ हो गई है। इस नए हवाई अड्डे ने न केवल अयोध्या की पहुंच को आसान बनाया है बल्कि क्षेत्र के विकास में भी एक नई ऊर्जा का संचार किया है।

Leave a Comment